खिलाना, पिलाना, आनंद की सामग्री जुटाना, आवश्यकताएं पूरी करना
2.
भारतीय कॉरपोरेटों को विदेशी उपक्रम के लिए निधिगत आवश्यकताएं पूरी करना
3.
दूसरी तरफ बढ़ते भौतिकवाद ने आम इन्सान की आवश्यकतायें बहुत बढा दी हैं, अतः वर्तमान समय में छोटे व्यापार से परिवार की सभी आवश्यकताएं पूरी करना असंभव होता जा रहा है.